The administration's Industrial Area 3 project has been pending for two decades

दो दशकों से लटकी पड़ी प्रशासन की इंडस्ट्रियल एरिया 3 परियोजना, कुल 1,262 एकड़ में 1800 से अधिक औद्योगिक भूखंड

The administration's Industrial Area 3 project has been pending for two decades

The administration's Industrial Area 3 project has been pending for two decades

The administration's Industrial Area 3 project has been pending for two decades- चंडीगढ़ (साजन शर्मा)I चंडीगढ़ के औद्योगिक परिदृश्य को फिलहाल विस्तार की सख्त जरूरत है, लेकिन यूटी प्रशासन औद्योगिक क्षेत्र, फेज 3 के विकास में देरी कर रहा है। यह परियोजना दो दशकों से अधिक समय से पूरी होने का इंतजार कर रही है। पहले से ही खूब भीड़भाड़ वाले फेज 1 और 2 में भीड़भाड़ को घटाने के लिए 2001 में फेज 3 की परिकल्पना की गई थी, जिसमें कुल 1,262 एकड़ में 1,800 से अधिक औद्योगिक भूखंड हैं।

रायपुर कलां के पास 153 एकड़ में फैले इस क्षेत्र में अब तक केवल तीन आवंटन हुए हैं। भूमि पर अभी भी सडक़, बिजली या पानी की कोई बुनियादी सुविधा नहीं है, और निकट भविष्य में इसके विकास की उम्मीद भी धूमिल है। नतीजतन, शहर में व्यवसाय स्थापित करने के इच्छुक उद्योगपतियों को कहीं और देखने के लिए मजबूर होना पड़ा है, जिससे पड़ोसी राज्यों में बड़ी संख्या में उद्योगपतियों व लोगों का पलायन  हुआ है और पिछले कुछ वर्षों में हजारों संभावित नौकरियां भी खत्म हो गई हैं। यह इलाका बंजर और काफी हद तक अविकसित है। करीब 140 प्लॉट में से सिर्फ तीन ही आवंटित किए गए हैं और कोई निर्माण नहीं हुआ है।

नवंबर 2022 में यूटी एस्टेट ऑफिस ने नीलामी के लिए 30 औद्योगिक प्लॉट की सूची तैयार की थी, जो कुछ हलचल का संकेत है। हालांकि, दो साल से अधिक समय बीत जाने के बाद भी कोई प्रगति नहीं हुई है, जिससे प्रमुख भूमि का बहुत कम उपयोग हो रहा है। यूटी एस्टेट ऑफिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने प्रगति की कमी को स्वीकार करते हुए कहा कि हम जल्द ही प्लॉट के लिए नीलामी करेंगे। अभी तक हमने सिर्फ तीन प्लॉट आवंटित किए हैं, वह भी सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर। इस संबंध में जल्द ही संबंधित अधिकारियों के साथ एक बैठक होगी। इस बीच, अत्यधिक देरी से सीधे प्रभावित लोगों में निराशा बढ़ रही है।

प्रशासन का दावा, 12 साल पहले डाल दिया था सीवरेज

आवंटियों में से एक जगजीत सिंह ने कहा कि मुझे सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर दिसंबर 2022 में अपना आवंटन पत्र मिला, लेकिन वास्तविकता वादे से बहुत दूर है। न तो बिजली है, न ही सडक़ें और जमीन बंजर बनी हुई है। यह स्पष्ट है कि प्रशासन क्षेत्र के विकास के प्रति गंभीर नहीं है, जिससे न केवल सरकारी खजाने को नुकसान हो रहा है, बल्कि स्थानीय समुदाय को भी अवसरों का नुकसान हो रहा है। एक अन्य आवंटी   अंकुश गर्ग ने भी इसी तरह की चिंता जताई और यूटी प्रशासन से बार-बार अनुरोध करने के बावजूद ज़ोनिंग और बुनियादी ढांचे की कमी की ओर इशारा किया। उन्होंने कहा कि मुझे दिसंबर 2022 में भी अपना आवंटन मिला था, लेकिन कोई विकास नहीं हुआ। फिर प्रशासन व्यापार करने में आसानी को बढ़ावा देने की बात कैसे कर सकता है? यूटी के मुख्य अभियंता सीबी ओझा ने कहा कि सीवरेज स्थापना जैसे कुछ बुनियादी ढांचे का काम लगभग 12 साल पहले पूरा हो गया था। उन्होंने कहा कि एक बार कब्जा मिल जाने के बाद हम आगे का काम शुरू  करेंगे। प्रशासन के लिए राजस्व उत्पन्न करने के प्रयास में, पूर्व यूटी प्रशासक बनवारीलाल पुरोहित ने फरवरी 2022 में बिना बिकी औद्योगिक, आवासीय, वाणिज्यिक और संस्थागत संपत्तियों को फ्रीहोल्ड के आधार पर बेचने के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। इस कदम का उद्देश्य खरीदारों को आकर्षित करना और शहर में व्यापार करने में आसानी को बेहतर बनाना था लेकिन प्रशासन की गंभीर कार्रवाई की कमी और लंबी देरी के बीच, यह स्पष्ट नहीं है कि चरण 3 कभी वास्तविकता बन पाएगा या नहीं।